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मुक्ति का दरवाजा खोल्या मोरा देवी माता रे काल असंख्या रह्या उघाडया जम्बू जड गया ताला रे
म्हा स्यूं मुंडे।। ९॥ साल बहोत्तर तीर्थ ओसोया, घेवर प्रभु गुण गाया रे मनोहर मूर्ति प्रथम जीणदे जी की अणमू पाया रै -
महा स्यूं मुंडे बोल, बोल २ आदेश्वर वाला कोई थारी मरजी रे, म्हा स्यूं, मुंडे बोल ॥ १०।।
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