Book Title: Chatvari Prakaranani
Author(s): Indrasenvijay Gani, Sinhsenvijay Gani
Publisher: Jain Granth Prakashak

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Page 162
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatiran.org Acharya Shn Kailassagarsun Gyanmandir UAE 95%E ॥ ॐ ही अई नमः ।। ॥ राजनगरमंडन श्री मूलेवापार्श्वनाथाय नमः॥ ॥शासनरत्न श्री वृद्धि-नेमि-उदय-मेरुप्रभसूरीश्वरेभ्यो नमः ॥ ॥ सटीकः श्रीलघुसङ्ग्रहणी (श्रीजम्बूद्वीपक्षेत्रसङ्ग्रहणी) ॥ स....म्पा....द....क . प्रशान्तमूर्ति पू. आ. भ. श्री विजयउदयसूरीश्वरजी म. सा. पट्टालंकार निडरवक्ता पू. आ. भ. श्री विजयमेरूप्रभासूरोरजी म. सा. अन्तेवासी पू. पं. श्रीइन्द्रसेन विजयजी गणिवर्य • संकलक - पू. गणि. श्री सिंहसेनविजयजीम. . • प्रकाशक- श्री जैन ग्रन्थ प्रकाशक सभाअहमदाबाद वि. सं. २०४२ + वीर सं. २५१२ जनेमि सं. ३७ नत्वा श्रीवीरजिनं संदर्शितविश्वविश्ववस्तु चयं । श्रीक्षेत्रसंग्रहण्या वृत्तिं कुर्वे यथाशक्तिम् ॥१॥ 555 For Private and Personal Use Only

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