________________
१०२
आप्तवाणी-५
ही ये कषाय उल्टी की तरह डिस्चार्ज होते हैं। फिर अच्छा हो जाता है, भूमिका शुद्ध होती जाती है।
उपयोग किसे कहते हैं कि हज़ार-हज़ार के नोट गिन रहा हो तब वहाँ से उसका उपयोग दूसरी जगह पर जाता है क्या? वह उपयोग कहलाता है। वैसा उपयोग हमारा निरंतर रहता है। हमारी हाज़िरी में रहो तो आपको भी उपयोग रहेगा।
प्रश्नकर्ता : इस पद में या दूसरे में अलग-अलग मात्रा में रुचि होती है इसलिए ऐसा होता है?
दादाश्री : रुचि को पोषण देने की ज़रूरत नहीं है। आपको तो उपयोग रखना है। आपको कह देना है, 'चंदूलाल, दादा के दरबार में बैठे हो, अब यहाँ पर जो-जो चल रहा है उसमें आप उपयोग रखकर चलो।' फिर आपको ‘देखते' रहना है, उपयोग चूक जाओ तो तुरन्त कहना, 'चंदूलाल चूक गए, ऐसा नहीं होना चाहिए।'
मुझे कोई पाँच के नोट या दस के नोट की रेज़गारी दे तो मैं कभी भी गिनने नहीं बैठू। पच्चीस-पचास पैसे कम दिए होंगे परन्तु इतना गिनतेगिनते मेरा टाइम कितना बेकार जाएगा! लक्ष्मीजी के बारे में निस्पृह नहीं हो जाना है, परन्तु उसमें उपयोग नहीं देना चाहिए।
उपयोग तो सबसे बड़ी वस्तु है।
यह उपयोग कब तक देना है? रात-दिन 'दादा' याद आते रहें। उनके बगैर अच्छा नहीं लगे, उनका विरह लगे, तब उसमें से 'इलेक्ट्रिसिटी' उत्पन्न होने से प्रकाश होता है, संपूर्ण स्वयं प्रकाश!
विरही की वेदना विरही की वेदना उत्पन्न होती है। विरही का अर्थ क्या? चैन ही नहीं पड़े। तब समझना कि सब जंजाल से छूट गए। नव विवाहिता हो, उसका पति ऑफिस जाए तो भी स्त्री का चित्त पति में ही रहता है- घर पर रसोई बहुत अच्छी बनाती है फिर भी।