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आप्तवाणी-५
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दादाश्री : 'इगोइज़म' । अज्ञानता के आधार पर 'इगोइज़म' खड़ा है और 'इगोइज़म' यह सब करता रहता है । यदि अज्ञान का आधार टूट जाए तो ‘इगोइज़म' गिर पड़ेगा ।
संसार का 'रूट कॉज़'
यह क़ॉज़ेज़ का आपको समझ में आया या नहीं समझ में आया? कोई आपका चहेता दोस्त आया तो आप खुश-खुश हो जाते हो वह राग है और अनचाहा व्यक्ति आए तब ?
प्रश्नकर्ता : एकदम उसे निकाल तो नहीं सकते, परन्तु मन मारकर बैठे रहते हैं।
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दादाश्री : वह द्वेष कहलाता है। ऐसे राग- -द्वेष करते रहते हो । वेदान्त क्या कहता है कि ये मनुष्य परमात्मा क्यों नहीं बन सकते? क्योंकि मल, विक्षेप और अज्ञान हैं इसलिए | जैनों की थिअरी ऐसा कहती है कि रागद्वेष और अज्ञान हैं, इसलिए । दोनों के मूल में अज्ञानता है ही। अर्थात् अज्ञानता जाए तब आधार टूट जाएगा ।
इफेक्ट तो अपने आप होता ही रहता है। परन्तु खुद अंदर कॉज़ेज़ करता है, आधार देता है कि 'मैंने किया, मैं बोला ' । वास्तव में इफेक्ट में किसीको करने की ज़रूरत ही नहीं है । इफेक्ट अपने आप सहज भाव से होता ही रहता है, परन्तु हम उसे सहारा देते हैं कि 'मैं करता हूँ' । वह भ्रांति है और वही कॉज़ेज़ हैं।
प्रश्नकर्ता : उस कॉज़ का कॉज़ क्या है?
दादाश्री : अज्ञानता। रूट कॉज़ अज्ञानता है । 'ज्ञानी पुरुष' अज्ञानता दूर करते हैं।
लक्ष्मी की लिंक
पैसेवाला कौन है? मन से जो राजा है, वह । हो तो खर्च करता है और नहीं हो तब भी खर्च करता है ।