Book Title: Aptavani Shreni 05
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 203
________________ आप्तवाणी-५ रखे हुए हैं उनका फोटो लेते हैं और साथ-साथ दुकान का भी फोटो लेते हैं! इसलिए ऐसा होता है। अभी कोई जूते ले जाएगा, उसका भी फोटो लेते हैं! १७२ अंतिम पल में रामनाम प्रश्नकर्ता : जन्म-मरण का फेरा टालने के लिए इस मनुष्य को लोगों ने श्री राम - श्री कृष्ण, ऐसे सब नाम दिए होते हैं, परन्तु अंतिम घड़ी में कुछ भी याद नहीं आता । तो अंतिम घड़ी में क्या करना चाहिए कि खुद आत्मा में रह सके और मोक्ष में जा सके ? दादाश्री : सच कहते हैं, अंतिम घड़ी में इसमें से कुछ भी याद नहीं आता। अंतिम घड़ी में तो पूरे जीवन का सार याद आता है। सार में तो सबकुछ आलेखन होता है। आप जिनालय में दर्शन करने जाते हों, तो वह बहीखाता बड़ा होता है । वह थोड़ा-बहुत हाज़िर होता है ! नहीं तो बेटियाँ दिखती हैं कि इसकी शादी करनी रह गई । तब बच्चे कहते हैं, 'चाचा, नौकार मंत्र बोलो।' तब चाचा कहेगा, 'बेअक्कल है ।' अरे, जानेवाला है अब तो सीधा मर न! यह अक्कल का बोरा बेचने जाए तो चार आने भी नहीं मिलें! अभी जाने की तैयारियाँ हो रही हैं, अर्थी बाँधने की तैयारियाँ कर रहे हैं, तब यह वापिस हिसाब निकाल रहा है ! किस तरह का है ? यानी अंतिम घड़ी में जीवन का सार आता है । और कुछ भी नहीं चलेगा, इसलिए ‘आत्मा का' पहले कर लेना । दादा भगवान कौन? प्रश्नकर्ता : 'दादा भगवान' कौन? दादाश्री : ये दिखते हैं वे 'दादा भगवान' नहीं हैं। आपको जो याद आते हैं, वे सच्चे ‘दादा भगवान' हैं ! ये जो दिखते हैं, वे तो 'ए. एम. पटेल' हैं और भीतर बैठे हैं प्रकट परमात्म स्वरूप, वे 'दादा भगवान' हैं ! प्रश्नकर्ता : वे 'दादा भगवान' कब हाज़िर रहते हैं ?

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