Book Title: Dharm Jivan Jine ki Kala
Author(s): Satyanarayan Goyanka
Publisher: Sayaji U B Khin Memorial Trust Mumbai

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Page 20
________________ धर्म न हिन्दू बौद्ध है, धर्म न मुस्लिम जैन । धर्म चित्त की शुद्धता, धर्म शांति सुख चैन । धर्म धर्म तो सब कहें, पर समझे ना कोय । शुद्ध चित्त का आचरण, सत्य धर्म है सोय ॥ कुदरत का कानून है, सब पर लागू होय । विकृत मन व्याकुल रहे, निर्मल सुखिया होय ॥ द्वेष और दुर्भाव के, जब जब उठे विकार । मैं भी दुखिया हो उठू, दुखी करू संसार ।। मैं भी व्याकुल ना रहूँ, जगत न व्याकुल होय । जीवन जीने की कला, सत्य धर्म है सोय ॥ यही धर्म की परख है, यही धर्म का माप । जन जन का मंगल करे, दूर करे संताप ।।

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