Book Title: Dharm Jivan Jine ki Kala
Author(s): Satyanarayan Goyanka
Publisher: Sayaji U B Khin Memorial Trust Mumbai

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Page 116
________________ आओ सुख बाँटें १०५ सद्धर्म की ओर आकर्षित हों ! अधिक से अधिक दुखियारे लोग सद्धर्म-रस का पान कर सकें और दुःख-मुक्त हो सकें ! इस निमित्त उनकी जितनी सेवा कर सकें, करें ! उन्हें जितनी सुविधा प्रदान कर सकें, करें ! जितनी सहुलियतें प्रदान कर सकें, करें। उन्हें सही मायने में सुखलाभी बनाएँ । अपना सुख बाँटने में ही हमारा सुख समाया हुआ है, सबका सुख समाया हुआ है।

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