Book Title: Dharm Jivan Jine ki Kala
Author(s): Satyanarayan Goyanka
Publisher: Sayaji U B Khin Memorial Trust Mumbai

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Page 25
________________ १४ धर्म : जीवन जीने की कला में लटकन वाली है या बिना लटकन वाली ? यदि लटकन वाली है तो उसमें किस देवी, देवता, गुरु, आचार्य का चित्र या चिह्न लटकता है ? कोई निर्वस्त्र है तो कोई वस्त्र पहने है । वस्त्र पहने है तो वह सिला है या अनसिला ? इस रंग का है या उस रंग का ? इस बनाव-कटाव का है या उस बनाव-कटाव का ? धोती है या लुंगी ? पाजामा है या पतलुन ? कमीज है या कुर्ता ? अचकन है या कोट ? दुपल्ली टोपी है या तुर्की टोपी या अंग्रेजी हैट ? कोई गले, भुजा, कलाई, पैर या अंगुलियों में डोरा बाँधे है अथवा जन्तर, ताबीज या गण्डा ? और है तो उसमें कोई अंक है या अक्षर ? या शब्द ? या मन्त्र ? या तन्त्र ? या यन्त्र ? कोई हाथ में पात्र लिए है या करपात्री है ? पात्र है तो मिट्टी का है ? लकड़ी का ? लोहे का है ? या अन्य किसी धातु का ? ये अनेक रूप-रूपाय, भिन्न-भिन्न बाह्याडम्बर, वेष-भूषा, आकार-प्रकार, बनावट-सजावट, भिन्न-भिन्न सम्प्रदायों के प्रतीक मात्र ही नहीं हैं, प्रत्युत भिन्न-भिन्न धर्म बनकर पारस्परिक विरोध का कारण बन गये हैं । कभी - किसी धर्मनेता ने प्यासी जनता को अमृत जैसा धर्मरस दिया । परन्तु जिस पात्र में दिया वह पात्र ही हमारे लिए प्रमुख हो गया । कालान्तर जब वह पात्र जीर्ण हुआ तो उसमें छेद होकर सारा धर्मरस बह गया । खोखला पात्र ही हमारे पास रह गया । इस पात्र के रस को हमने जाना या चखा नहीं । इसलिए यह खोखला पात्र हमारे लिए धर्म हो गया और इसे छाती से चिपकाए रखने को हम जीवन की सार्थकता मानने लगे । में जैसे भिन्न-भिन्न रूप सज्जा वैसे ही भिन्न-भिन्न थोथे, निर्जीव, निष्प्राण कर्मकाण्ड हमारे लिए धर्म बन गये हैं और हमें उनसे गहरा चिपकाव हो गया है । शुद्ध धर्म फिर छूट गया और हम चूल्हे, चौके को कच्ची या पक्की रसोई को, जात-पात को छूआ-छूत को, इस या उस नदी, पोखरे अथवा J समुद्र में नहाने को, इस या उस तीर्थ की यात्रा कर लेने को ही धर्म मानने लगे हैं । इस या उस मन्दिर, मस्जिद, गिरजा, चैत्य, उपाश्रय, गुरुद्वारे में सुबह-शाम हाजिरी दे आने को ही धर्म मानने लगे हैं । पूर्व या पश्चिम की ओर मुँह करके, खड़ े होकर या बैठकर, घुटने मोड़कर या पालथी मारकर, हाथ जोड़कर या अञ्जली पसारकर, पंचांग, अष्टांग या दण्डवत् प्रणाम करके, इस या उस देवी, देवता, गुरु, आचार्य या धर्मनेता की तस्वीर, मूर्ति, चरण

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