Book Title: Dharm Jivan Jine ki Kala
Author(s): Satyanarayan Goyanka
Publisher: Sayaji U B Khin Memorial Trust Mumbai

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Page 75
________________ १४. विपश्यना क्या है ? विपश्यना को समझें ! भली-भाँति समझें बिना सही माने में विपश्यी नहीं बन पाएंगे। विपश्यना क्या है ? विपश्यना कोई जादू नहीं, जो हमारे सिर पर चढ़कर बोलने लगे। विपश्यना कोई सम्मोहिनी विद्या नहीं जिससे हम किसी अन्य के द्वारा सम्मोहित होकर अपनी सुध-बुध खो बैठे। विपश्यना कोई मंत्रविद्या नहीं जो हमें साँप-बिच्छू या भूत-प्रेत की तरह मंत्राए रख सके। विपश्यना कोई अंध-भक्ति या अंध भावावेश नहीं जिसके भावोन्माद में हम उन्मत्त बने रह सकें। विपश्यना कोई भजन, कीर्तन, संगीत या नृत्य नहीं जिसमें भाव-विभोर होकर हम आत्म-विस्मृत बने रह सकें। विपश्यना कोई ऋद्धि या चमत्कार नहीं जिसकी अलौकिकता से चमत्कृत होकर हम आश्चर्य-चकित बने रह सकें। विपश्यना शब्दों के इन्द्रजाल की कोई माया नहीं जिससे किसी के वाणीविलास से हम अपना बुद्धिविलास करते रह सकें। विपश्यना कोई दार्शनिक ऊहापोह नहीं, जिसके सहारे हम दिमागी कसरत करते रहने में अपने आपको मशगूल रख सकें । विपश्यना तत्त्वचिंतकों का कोई अखाड़ा नहीं जहाँ हम वाद-विवादी, तर्क-वितर्की बनकर शब्दों के बाल की खाल बँचते हुए बौद्धिक खेल खेलने में अपने आपको भरमाए रख सकें। विपश्यना कोई विशिष्ट वेष-भूषा नहीं, जिसे पहनकर हम धर्मवान बन जाने का गुमान कर सकें। विपश्यना कोई रूढ़ि या कर्मकाण्ड नहीं जिसे पूरा करके हम धर्म के नाम पर आत्म-छलना करते रह सकें। विपश्यना कोई ग्रन्थ-पाठ नहीं जिसका पारायण करके हम वैतरणी पार

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