Book Title: Dharm Jivan Jine ki Kala
Author(s): Satyanarayan Goyanka
Publisher: Sayaji U B Khin Memorial Trust Mumbai

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Page 72
________________ १३. सत्य धर्म सत्य-धर्म का उजाला फैलने लगा है । पाप का अंधकार समाप्त होने का समय समीप आ रहा है । इस मंगलमय धर्मबेला का लाभ उठाएं और अपने अन्तर को धर्म के प्रकाश से जगमगालें । अपने भीतर भरा हुआ सारा अंधेरा, सारा कल्मष दूर कर लें । हमारे अर्न्तमन की अतल गहराइयों में जो राग, द्वेष और मोह समाया हुआ है, उसे दूर करें । राग, द्वेष और मोह ही पाप का अंधकार है। इसे हटाना धर्म का प्रकाश है । हमारा बड़ा पुण्य है कि हमें ऐसी सहज-सरल विधि मिली, जिससे कि हम अपने अन्तर्मन को धोकर सत्य-धर्म की पवित्रता धारण कर सकें । इस अवसर का पूरा-पूरा लाभ उठाएं । इस मार्ग पर चलने के लिए यह कदापि अनिवार्य नहीं है कि कोई अपने आपको बौद्ध कहने लगे । बौद्ध कहें या न कहें, परन्तु यदि हम उस महाकारुणिक भगवान तथागत के बताए हुए सहज, सरल तरीके को अपना कर अपने भीतर का राग, द्वेष और मोह का कल्मष दूर कर लें तो निश्चय ही इसमें हमारा लाभ है । हमारा हित-सुख है । फिर हम अपने आपको चाहे जिस नाम से पुकारें, हम कल्याणकारी मार्ग के सच्चे अनुयायी, दुखनिरोधगामिनी प्रतिपदा के सच्चे पथिक और सभी दुखों से छ ुटकारा पाने के सच्चे अधिकारी हैं ही । सच्चे धर्म के अभाव में ही हम ऊँच-नीच की दीवारें बनाकर मनुष्यमनुष्य में विभाजन पैदा कर लेते हैं । सच्चा धर्म इन दीवारों को छोड़कर, हर प्रकार के विभाजन को मिटाता है और एकता के धरातल पर ऐसे मानवीय

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