Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 183
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatiram.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir बाहिरगा समुद्द। किं असिओदगा पत्थडोदगा खुभियजला अक्खुभियजला?, गो०! बाहिरगा समुद्दा नो उस्सितोदगा पत्थडोदगा| नो खुभियजला अक्खुभियजला पुण्णा पुण्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडताए चिटुंति, अस्थि णं भंते! लवणसमुद्दे बहवो ओराला बलाहका संसेयंति वा संमच्छंति वा वासं वासंति वा?, हंता अस्थि, जहाण भंते! लवणस हे बहवे ओराला बलाहका संसेयंति संभुच्छंति वासं वासंति वा तहा णं बाहिरएसुवि समुद्देसु बहवे ओराला बलाहका संसेयंति संमुच्छंति वासं वासंति?, णो तिणढे समढे, से केण्टेणं भंते! एवं वुच्चति बाहिरगा णं समुद्दा पुण्णा पुण्णप्यमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडियाए चिट्ठति?, गो०! बाहिरएसु णं समुद्देसु बहवे उदगजोणिया जीवा य पोग्गला य उदगत्ताए वक्कमंति विउक्कमति चयंति उवचयंति, से तेणटेणं एवं वुच्चति बाहिरगा समुद्दा पुण्णा पुण्ण जाव समभरघडताए चिट्ठति।१७० लवणे णं भंते! समुद्दे केवतियं उव्वेहपरिवुड्ढीते पं०?, गो०! लवणस्स णं समुद्दस्स उभ्ओपासिं पंचाणउतिं २ पदेसे गंता पदेसं उव्वेहपरिवुड्ढीए |पं०, पंचाणउतिं २ वालागाइं गंता वालग्गं उव्वेहपरिवुड्ढीए पं०, लिक्खाओ गंता लिक्खा उव्वेहपरि० पंचाणउई जवाओ जवमझे अंगुलविहत्थिरयणीकुच्छीधणुगाउयजोयणजोयणसत० जोयणसहस्साई गंता जोयणसहस्सं उव्वेहपरिवुड्ढीए, लवणे णं भंते! समुद्दे केवतियं उस्सेहपरिवुड्ढीए पं०?, गो०! लवणस्स णं समुद्दस्स उभओपासिं पंचाणउतिं पदेसे गंता सोलसपएसे उस्सेहपरिवुड्ढीए ५०, एएणेव कमेणं जाव पंचाणउतिं २ जोयणसहस्साई गंता सोलस जोयणसहस्साई उस्सेधपरिवुड्ढीए पं०१७१। लवणस्स ॥ श्री जीवाजीवाभिगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित | १७३ For Private And Personal

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