Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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|| ॥१८६॥ केवइया णं भंते ! जंबुद्दीवा णामधेजेहिं पं०? गो०! असंखेजा जंबुद्दीवा नामधेनेहिं पं०, केवतिया णं भंते !, लवणसमुद्दा | ||पं०?, गो०! असंखेज्जा लवणसमुद्दा नामधेजहिं पं०, एवं थायतिसंडावि, एवं जावे असंखेज्जा सूरदीवा नामधेज्जेहिं, एगे देवे दीवे पं० एगे देवोदे समुद्दे पं०, एवं णागे जक्खे भूते जाव एगे सयंभूरमणसमुद्दे णामधेजेणं पं० ॥१८७॥ लवणस्स णं भंते! समुद्दस्स उदए के रिसए अस्साएणं पं०?, गो०! लवणस्स उदए आइले रइले लिंदे लवणे कडुए, अपेज्जे बहूणं दुपयचउप्पयमिगपसुपक्खिसरिसवाणं णण्णत्थ तज्जोणियाणं सत्ताणं, कालोयस्स णं भंते! समुदस्स उदए केरिसए अस्साएणं |पं०?, गो०! आसले पेसले मांसले कालए मासरासिवण्णाभे पगतीए उदगरसेणं पं०, पुक्खरोदगस्स णं भंते! समुद्दस्स उदए केरिसए ||पं०?, गो०! अच्छे जच्चे तणुए फालियवण्णाभे पगतीए उदगरसेणं पं०, वरुणोदस्स णं भंते! ०?, गो०!, से जहाणामए पत्तासवेति वा चोयासवेति वा खजूरसारेति वा मुद्दियासारेति सुपितखोतरसेति वा मेरएति वा काविसायणेति वा चंदप्पभाति वा मणिसिलाति वा वरसीधूति वा पवरवारुणी वा अपिटुपरिणिहिताति वा जंबूफलकालिया वरप्पसण्णा उक्कोसमदप्पत्ता ईसिट्ठवलंबिणी ईसितंबच्छियकरणी ईसिवोच्छेयकरणी आसला मांसला पेसला वण्णेणं उववेता जाव णो तिणढे समढे, वारुणे उदए इत्तो इतरए चेव जाव अस्साएणं पं०, खीरोदस्स णं भंते!, उदए के रिसए अस्साएणं पं०?, गो०! से जहाणामणे रन्नो चाउरंतचक्कवट्टिस्स चाउरके गोखीरे प्रज्जत्तिमंदग्गिसुकड्ढिते आउत्तरखंडमच्छंडितोववेते वण्णेणं उववेते जाव फासेण उववेए, भवे एयारूवे सिया?, ॥ श्री जीवाजीवाभिगम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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