Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 245
________________ Shri Mahavir Jain Arachana Kendra www.kobatiram.org Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir भवग्गहणंसमऊणं उक्को०जा जस्सठितीसा समऊणा जावपंचिंदियाणं तेत्तीसंसागरोवमाआइंसमऊणाई.संचिट्ठणा पढमसमइयस्स जह एक्कं समयं, उक्को० एवं समयं, अपढमसमइकाणं जह० खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्कोसेणं एगिंदियाणं वणस्सतिकालो बेइंदियतेइंदियचरिदियाणं संखेज कालं पंचेंदियाणं सागरोवमसहस्संसातिरेगं, पढमसमयएगिदियाणं केवतियं अंतर होति?, गो०! जह० दो खुड्डागभवग्गहणाई समऊाई उक्को० वणस्सतिकालो, अपढमएगिदिय० अंतरं जह० खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उको० दो सागरोवमसहस्साई संखेजवासमब्भहियाई,सेसाणंसव्वेसिं पढमसमयिकाणं अंतरं जह० दो खुड्डाई भवगहणाई उक्को० वणस्सतिकालो, अपढमसमयिकाणं सेसाणं जह० खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उक्को० वणस्सतिकालो, पढमसमइयाणं सव्वेसिं सव्वत्थोवा पढमसमयपंचेंदिया पढम० चरिदिया विसे० पढम० तेइंदिया विसे० पढ० बेइंदिया विसे० पढ० एगिंदिया विसे०, एवं अपढमसमयिकावि, णवरिअपढमसमयएगिंदिया अणंतगुणा, दोण्हं अपबहू-सव्वत्थोवा पढमसमयएगिदिया अपढमसमयएगिंदिया अणंतगुणा सेसाणं सव्वत्थोवा पढमसमयिगा अपढम० असंखे० एतेसिं णं भंते ! पढमसमयएगिंदियाणं अपढमसमयएगिदियाणं जाव अपढमसमयपंचिंदियाण य कयरे०?, सव्वत्थोवा पढमसमयपंचेंदिया पढमसमयचरिदिया विसेसाहिया एवं हेहामुही जाव पढमसमयएगिंदिया विसेसा० अपढमसमयपंचेंदिया असंखे० अपढमसमयचरिदिया विसे० जाव अपढमसमयएगिंदिया अणंत०) सेत्तं दसविहा संसारसमावण्णा जीवा। सेत्तं संसारसमावण्णगा जीवा। सेत्तं जीवाभिगमे ॥२४४॥ प्रतिपतिः ९॥ ॥ श्री जीवाजीवाभिगम् ॥ | २३५ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

Loading...

Page Navigation
1 ... 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267