Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 209
________________ Shri Mahavir Jain Arachana Kendra www.kobatiram.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir णो तिणढे समटे, गो०! खीरोयगस्स० एत्तो इ8 जाव अस्साएणं पं०, घतोदस्स णं से जहाणामए सारतिकस्स गोघयवरस्म मंडे || सल्लइकणियारपुष्पवण्णाभे सुकड्ढिउदारसझवीसंदिते वण्णेणं उववेते जाव फासेण य उववेए, भवे एयारूवे सिया ?, णो तिणढे समढे, इत्तो इट्ठयरे०, खोदोदस्स से जहाणामए उच्छृणं जच्चपुंडकाणं हरियालपिंडराणं भेरुंडछणाण वा कालपोराणं तिभागनिव्वाडियवाडगाणं बलवगणरजतपरिगालियभित्ताणं जंच रसे होजा वत्थपरिपूए चाउज्जातगसुवासिते अहियपत्थे लहुए वण्णेणं उववेए जाव भवेयारूवे सिया ?, णो तिणढे समटे, एत्तो इट्ठया०, एवं सेसगाणवि समुदाणं भेदो जाव सयंभूरमणस्स, णवरि अच्छे जच्चे पत्थे जहा पुक्खरोदस्सा कति णं भंते! समुद्दा पत्तेगरसा पं०?, गो०! चत्तारि समुद्दा पत्तेगरसा पं० २०-लवणे/ वरुणोदे खीरोदे घयोदे, कति णं भंते! समुद्दा पगतीए उदगरसेणं पं०?, गो०म तओ समुद्दा पगतीए उदगरसेणं पं० २०- कालोए पुक्खरोए सयंभूरमणे, अवसेसा समुद्दा उस्सण्ण खोतरसा पं० समणाउसो!। १८८१ कति णं भंते समुद्दा बहुमच्छकच्छभाइण्ण पं०? गो०! तओ समुद्दा बहुमच्छकच्छभाइण्णा पं० २०-लवणे कालोए सयंभूरमणे, अवसेसा समुद्दा अप्पमच्छकच्छभाइण्णा पं०,लवणेणं भंते ! समुद्दे कति मच्छजातिकुलकोडिजोणीपमुहसयसहस्सा पं०?, गो०! सत्त मच्छजातिकुलकोडीजोणीपमहसतसहस्सा |पं०, कालोए णं भंते ! समुद्दे कति मच्छजाति० पं०?, गो०! नव मच्छजातिकुलकोडीजोणी०, सयंभूरमणे णं भंते! समुद्दे०, अद्धतेरस मच्छजातिकुलकोडीजोणीपमुहसतसहस्सा पं० लवणे णं भंते! समुद्दे मच्छाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पं०?, गो०! || श्री जीवाजीवाभिगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

Loading...

Page Navigation
1 ... 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267