Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Arachana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir
अत्थे० पच्चा० अत्थेगतिया णो पच्चायंति, से केण्टेणं भंते! एवं वुच्चति थायइसंडे दीवे २ ?, गो०! धायइसंडे णं दीवे तत्थ|| २ देसे तहिं २ पएसे धायहरुक्खा धायइवण्णा धायइसंडा णिच्चं कुसुमिया जाव उवसोभेमाणा २ चिटुंति, थायइमहाथायइरुक्खेसु सुदंसणपियदसणा दुवे देवा महिड्ढिया जाव पलिओवमद्वितीया परिवसंति से एएण्टेणं० अदुत्तरं च णं गो०! जाव णिच्चे, धायइसंडे णं भंते! दीवे कति चंदा पभासिंसु वा०? कति सूरिया तविंसु वा०? कइ महग्गहा चारं चरिसु वा० कई णक्खत्ता जोगं जोइंसु वा० कइ तारागणकोडाकोडीओ सोभेसुवा०?, गो०! बारस चंदा पभासिंसु वा०? एवं चउवीसं ससिरविणो णक्खत्तसता य तित्रि छत्तीसा। एगं च गहसहस्सं छप्पनं धायइसंडे ॥३४॥ अटेव सयसहस्सा तिण्णि सहस्साई सत्त य सयाई। धायइसंडे दीवे तारागणकोडिकोडीणं ॥३५॥ सोभेसु वा० ११७५। धायइसंडं णं दीवं कालोदे णामं समुद्दे वट्टे वलयागासंठाणसंठिते सव्वतो समंता संपरिक्खिवित्ताणं चिट्ठइ, कालोदे णं समुद्दे किं समचक्वालसंठाणसंठिते विसम०?, गो०! समचक्वाल० णो विसमचक्कवाल० संठिते, कालोदे णं भंते! समुद्दे केवतियं चक्कवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं पं०?, गो०! अट्ठ जोयणसयसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं एकाणउती जोयणसहयसहस्साई सत्तरि सहस्साई छच्च पंचुत्तरे जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पं० से णं एगाए पउमववेदियाए एगेणं वणसंडेणं दोण्हवि वण्णओ, कालोयस्स णं भंते! समुहस्स कति दारा पं०?, गो०! चत्तारि दारा पं० २०-विजए वेजयंते जयंते अपराजिए कहिं णं भंते! कालोदस्स समुदस्स विजए णाभं दारे पं०? ॥ श्री जीवाजीवाभिगम् ॥
| १७७
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267