Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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सव्वफलिहामया अच्छा तहेव वरुणवरुणप्पभा य एत्य दो देवा महिड्ढीया० परिवसति से तेणटेणं जाव णिच्चे, जोतिसं सव्वं|| संखेजगणं जाव तारणगणकोडिकोडीओ, वरुणवरण्णं दीवं वरुणोदे णामं समुद्दे वट्टे वलया० जाव चिट्ठति, समचक्क० नो विसमचलवालवि० तहेव सव्वं भाणियव्वं, विकूखंभपरिक्खेवो संखिज्जाई जोयणसयसहस्साई दारंतरं च पउमवर० वणसंडे पएसा जीवा अट्ठो गो०! वारुणोदस्स णं समुदस्स उदए से जहानामए चंदप्पभाइ वा वरसीधुवारुणीइ वा पत्तासवेइ वा पुप्फासवेइ वा चोयासवेइ वा फलासवेइ वा महुमेरएइ वा जातिपसन्नाइ वा खजूरसारेइ वा मुद्दियासारेइ वा कापिसायणीइ वा सुपक्कखोयरसेइ वा पभूतसंभारसंचिता पोसमाससतभिसयजोगवत्तिता निरूवहतविसिदिनकालोक्यारा सुधोता उक्कोसग( मयपत्ता) अपिट्टपुट्ठा ( पिट्ठनिद्विजा) मुखइंतवरकिमिविदिण्णकद्दमा कापसन्ना अच्छ। वरवारुणी अतिरसा जंबूफलपुट्ठवना सुजाता ईसिद्वावलंबिणी अहियमधुरपेजा ईसासिरतणेता कोमलकवोलकरणी जाव आसादिता विस्सादिता अणिहयसलावकरणहरिसपीतिजणणी संतोसततबिबोकहावब्भिमविलासवेलहलगमणकरणी वीराणमधियसत्तजणणी य होति संगामदेसकाले कयरणसभरपसरकरणी कड्ढियाण विजुपयतिहिययाण मउयकरणी य होति उववेसिता समाणा गतिं खलावेति य सयलंमिवि सुभासवुष्पीलिया समरभगवणो सहयारा सुरभिरसदीविया सुगंधा आसायणिज्जा विस्सायणिज्जा पीणमिजा दप्पणिज्जा मयणिज्जा सव्विंदियगातपल्हायणिज्जा आसला मांसला पेसला (ईसी ओद्वावलंबिणी ईसी बच्छिकणी ईसीवोच्छेया कडुआ) वण्णेणं ॥ श्री जीवाजीवाभिगम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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