Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 244
________________ Shri Mahavir Jain Arachana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir असंखि० पढमसमयदेवा असंखे० पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखे० अपढमसमयनेरझ्या असंखे० अपढभसमयदेवा असंखे०|| अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगुणा। सेत्तं अट्ठविहा संसारसमावण्णा जीवा ॥२४२॥ प्रतिपत्तिः ७॥ ॥ तत्थ् णं जे ते एवमासु णवविधा संसारसमावण्णगा जीवा पं० ते एवमाहंसु पुढवीकाइया आउकाइया तेउक्काइया वाउक्काइया वणस्सइकाइया बेइंदिया तेइंदिया चरिंदिया पंचेंदिया, ठिती सव्वेसिं भाणियव्वा, पुढवीकाइयाणं संचिढणा पुढवीकालो जाव वाउक्काइयाणं, वणस्सईणं वणस्सतिकालो, बेइंदिया तेइंदिया चरिदिया संखे कालं, पंचेंदियाणं सागरोवमसहस्सं सातिरेगं, अंतरं सव्वेसिं अणंतं कालं वणस्सतिकाइयाणं असंखेनं कालं, अपाबहुगं सव्वत्थोवा पंचिंदिया चरिदिया वि० तेइंदिया वि० बेइंदिया वि० तेउक्काइया असंखे० पुढवी० आउ० वाउ० विसेसाहिया वणस्सतिकाइया अणंतगुणा सेत्तं णवविधा संसारसमावण्णगा जीवा ॥२४३॥ प्रतिपत्तिः ८॥॥ तत्थ णं जे ते एवमाहंसु दसविधा संसारसमावण्णगा जीवा पं० ते एवमाहंसु, तं०-पढमसमयएगिदिया अपढमसमयएगिदिया पढमसमयबेइंदिया अपढमसमयबेइंदिया जाव पढमसमयपंचिंदिया अपढमसमयपंचिंदिया, पढमसमयएगिदियस्स णं भंते केवतियं कालं ठिती पं० ?, गो०! जह० एवं समयं उक्को० एक०, अपढमसमयएगिदियस्स० ?, जह० खुड्डागं भवगहणं समऊणं उक्को० बावीसं वाससहस्साई सम ऊणाई. एवं सव्वेसिं पठमसमयिकाणं जह० एक्को समओ उक्को० एक्को समओ, अपढम० जह० खुड्डागं || श्री जीवाजीवाभिगम् ॥ | २३४ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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