Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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| तेइंदियअपज्जत्ता विसे० बेइंदिया अपजत्ता विसे० एगिंदियअपजत्ता अणंतगुणा सइंदिया अपजत्ता विसे० एगिंदियपज्जत्ता संखेजगुणा सइंदियपबत्ता विसे० सइंदिया विसे०। सेत्तं पंचविधा संसारसमावण्णा जीवा ॥२२६॥ प्र० ४ ॥ __तत्थ णं जे ते एवमाहंसु छब्विहा संसारसमावण्णा जीवा पं० ते एवमाहंसु, तं०-पुढवीकाइया आउ० ते३० वाउ० वणस्सति० तसकाइया, से किं तं पुढवी०?, दुविहा पं० २०-सुहुमपुढविक्काइया य बादरपुढवीकाइया य, सुहमपुढवीकाइया दुविहा पं० तं०-पजत्ता य अपज्जतगा य, एवं बायरपुढवीकाइयावि, एवं चउक्कएणं भेएणं आउतेउवाउवणस्सतिकाइया णेयव्वा, से विं तं तसकाइया ?, २ दुविहा पं० २० - पजत्तगा य अपज्जतगा य १२२७) पुढवीकाइयस्स णं भंते! केवतियं कालं ठिती पं०?, गो०! जह० अंतो० उक्को० बावीसं वाससहस्साइं, एवं सव्वेसिं ठिती णेयव्वा, तसकाइयस्स जह० अंतो० उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाइं, अपज्जत्तगाणं सव्वेसिंजह० उदो० अंतो०, पज्जत्तगाणं सव्वेसिं उक्कोसिया ठिती अंतोमुहत्तऊणा कायव्वा १२२८ पुढवीकाइए णं भंते! पुढवीकाइयनिकालतो केवचिरं होइ?, गो०! जह० अंतो० उक्को० अंसखेन्जं कालं जाव असंखेज्जा लोया, एवं जाव आउ० ते३० वाउक्काइयाणं, वणस्सइकाइयाणं अणंतं कालं जाव आवलियाए असंखेजतिभागो, तसकाइए णं भंते!०, जह० अंतोमु० उक्को० दो सागरोवमसहस्साई संखेज्जवासमभहियाई, अपज्जतगाणं छण्हवि जहण्णेणवि उकासेणवि अंतोमुहत्तं, पज्जत्तगाणं 'वाससहस्सा संखा पुढविदगाणिलतरूण पज्जत्ता। तेऊ राइंदि संखा तस सागरसतपुहत्ताई ॥८९॥ प्रज्जतगाणवि ॥ श्री जीवाजीवाभिगम् ।
पू. सागरजी म. संशोधित
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