Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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सुहुमवणस्सइकाइया पज्जत्ता संखेजगुणा सुहुमा पजत्तगा विसेसाहिया सुहमा विसेसाहिया ॥२३८॥ कतिविह। णं भंते ! णिओया पं०?, गो०! दुविहा णिओया पं० २०-णिओया य णिओदजीवा य, णिओया णं भंते! कतिविही पं०?, गो०! दुविहा पं० ०सुहमणिओया य बायरणिओया य, सुहमणिओआ णं भंते! कतिविहा पं०?, गो०! दुविहा पं० ०-प्रज्जत्तगा य अपज्जतगा य, बायरणिओयावि दुविहा पं० तं०-पजत्तगा य अपज्जत्तंगा य, णिओयजीवा णं भंते ! कतिविहा पं०?, दुविहा पं० तं०सुहमणिओदजीवा य बायरणिओयजीवा य, सुहमणिगोदजीवा दुविही पं० ०-पजत्तगा य अपजत्तगा य, बादरणिगोदजीवा दुवहिी पं० २०-पज्जत्तगा य अपजतगा य ॥२३९॥ निगोदा णं भंते ! दव्वट्ठयाए किं संखेजा असंखेजा अणंता ?, गो०! नो संखेजा असंखेजा नो अणंता, एवं पजत्तावि अपजत्तावि, सुहुमनिगोदा णं भंते ! दव्वट्ठयाए किं संखेजा असंखेज्जा अणंता?, गो०! णो संखेजा असंखेज्जा णो अणंता, एवं पज्जत्तगावि अपजत्तगावि, एवं बायरावि पजत्तगावि अपज्जत्तगावि णो संखेजा असंखेजा णो अणंता, णिओदजीवा णं भंते ! दवट्ठयाए किं संखेज्जा असंखेज्जा अणंता ?, गो०! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता, एवं पज्जत्तावि अपज्जत्तावि, एवं सुहुभणिओयजीवावि पजत्तगावि अपजत्तगावि, बादरणिओदजीवावि पज्जतगावि अपजत्तगावि, जिओदा णं भंते ! पदेसट्टयाए किं संखेजा०? पुच्छा, गो०! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता, एवं पज्जतगावि अपजतगावि, एवं सुहुमणिओयावि पज्जतगावि अपजतगावि, पएसट्ठयाए सव्वे अणंता, एवं बायरनिगोयावि पजत्तयावि II श्री जीवाजीवाभिगम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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