Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 235
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsurl Gyanmandir अंतोमुहुत्तं ॥२३१॥ सुहुमे णं भंते! सुहुमेत्ति० ?, गो०! जहणणेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं असंखेजकालं जाव असंखेजा लोया,|| सव्वेसिं पुढवीकालो जाव सुहमणिओयस्स पुढवीकालो, अपज्जतगाणं सव्वेसिं जहणणेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहत्तं, एवं पजतगाणवि सव्वेसिं जहण्णेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहत्तं ॥२३२॥ सुहुभस्म णं भंते! केवतियं कालं अंतर होति?, गो०! जहण्णेणं अंतोमु० उक्को० असंखेज कालं कालओ असंखेजाओ उस्सप्पिणीओसप्पिणीओ खेतओ अंगुलस्स असंखेजतिभागो, सुहुमवणस्सतिकाइयस्स सुहमणिओयस्सवि जाव असंखेजड़भागो, पुढवीकाइयाणं वणस्सतिकालो, एवं अपज्जत्तगाणं प्रज्जत्तगाणवि |॥२३३॥ एवं अप्पाबहुगं, सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया सुहुमपुढवीकाइया विसेसाहिया सुहुमआउवाऊ विसेसाहिया सुहुमणिओया असंखेजगुणा सुहुभवणस्सतिकाइया अणंतगुणा सुहमा विसेसाहिया, एवं अपज्जत्तगाणं, पजत्तगाणवि एवं चेव, एतेसिं णं भंते! सुहुमाणं पज्जत्तापजत्ताणं कयरे०?, सव्वत्थोवा सुहुमा अपजत्तगा संखेजगुणा पज्जत्तगा एवं जाव सुहमणिगोया, एएसिं णं भंते! सुहुमाणं सुहुमपुढवीकाइयाणं जाव सुहुमणिओयाण य पजत्तापज्जताणं क्यरे०?, सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया अपज्जत्तगा सुहुमपुढवीकाइया अपज्जतगा विसेसाहिया सुहुमआउअपजत्ता विसे० सुहुभवाउअपज्जत्ता विसे० सुहुमतेउकाइया प्रज्जतगा संखेजगुणा सुहुभपुढवीआउवाउपज्जतगा विसे० सुहमणिओया अपज्जत्तगा असंखेजगुणा सुहुमणिओया पज्जतगा संखेजगुणा सुहुमवणस्सतिकाइया अपज्जत्तगा अणंतगुणा सुहुमअपज्जत्ता विसे० सुहुभवणस्सइपज्जत्तगा संखेजगुणा सुहमा पजत्ता विसेसाहिया ॥ श्री जीवाजीवाभिगम् । पू. सागरजी म. संशोधित २२५ For Private And Personal

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