Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 229
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir एगिंदियरूवाणि वा जाव पंचिंदियरूवाणि वा, ताई संखेजाइपि असंखेजाइपि सरिसाइंपि असरिसाइपि संबद्धाइपि असंबद्धाइंपि रूवाई विउव्वंति त्ता अप्पणा जहिच्छियाई कज्जाई करेंति जाव अच्चुओ, गेवेजणुत्तरोवातिया देवा किं एगत्तं पभू विउवित्तए पुहुत्तं पभू विउवित्तए ? गो०! एगत्तंपि पुहत्तंपि, नो चेवणं संपत्तीए विउव्विसु वा विउव्वंति वा विउव्विस्संति वा, सोहम्भीसाणदेवा केरिसयं सायासोक्खं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति ?, गो०! मणुण्णा सहा जाव मणुण्णा फासा जाव गेविजा, अणुत्तरोववाइया अणुत्तरा सहा जाव फासा, सोहम्भीसाणेसा देवाणं केरिसगा इड्ढी पं० ?, गो०! महिड्ढीया महज्जुइया जाव महाणुभागा इड्ढीए पं० जाव अच्चुओ, गेवेजणुत्तराय सव्वे महिड्ढीया जाव सव्वे महाणुभागा अणिंदा जाव अहमिंदा णामं देवगणा पं० समणाउसो! ॥२१८॥ सोहम्भीसाणा देवा के रिसया विभूसाए पं० ?, गो०! दुविही पं० तं०-वेउव्वियसरीरा य अवेउव्वियसरीरा य. तत्थ णं |जे ते वेउव्वियसरीरा ते हारविराइयवच्छ। जाव दस दिसाओ उज्जोवेमाणा पभासेमाणा जाव पडिरूवा, तत्थ णं जे ते अवेउब्वियसरीरा ते णं आभरणवसणरहिता पगतित्था विभूसाए पं०, सोहम्भीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु देवीओ केरिसियाओ विभूसाए पं०?, गो०! दुविधाओ पं० २०-वेउब्वियसरीराओ य अवेउव्वियसरीराओ य, तत्थ णं जाओ वेउब्वियसरीराओ ताओ सुवण्णसद्दालाओ सुवण्णसद्दालाई वत्थाई पवरपरिहिताओ चंदाणणाओ चंदविलासिणीओ चंदद्धसमणिडालाओ सिंगारागारचारुवेसाओ संगय जाव पासातीयाओ जाव पडिरूवाओ. तत्थ णं जाओ अवेव्वियसरीराओ ताओ णं आभरणवसणरहियाओ पगतित्थाओ विभूसाए ॥ श्री जीवाजीवाभिगम् ॥ | २१९ पू. सागरजी म. संशोषित For Private And Personal

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