Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 240
________________ Shri Mahavir Jain Arachana Kendra www.kobatiram.org Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir अपज्जत्तयावि, पएसट्टयाए सव्वे अणंता, एवं णिओदजीवा नवा प्र० सत्त विहावि पएसट्टयाए सव्वे अणंता, एएसिं णं भंते !|| णिओयाणं सुहमाणं बायराणं पजत्तयाणं अपजत्तगाणं दवट्ठयाए पएसट्टयाए दवट्ठपएसट्टयाए कयरे०?, गो०! सव्वत्थोवा बादरणिओयपज्जत्तगा दवट्ठयाए बादरनिगोदा अपज्जतगा दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा सुहमणिओदा अपज्जतगा दव्वट्ठयाए असंखे० सुहमणिओदा पजत्तगा दवढयाए संखि०, एवं पदेसट्टयाएवि, दव्वटुपदेसट्टयाए सव्वत्थोवा बादरणिओया पजत्ता य दव्वट्ठयाए जाव सुहमणिओदा पज्जत्ता य दवट्ठयाए संखे० सुहमणिओएहितो पजत्तएहितो दवट्ठयाए बायरणिगोदा पूजत्ता पएसट्ठयाए अणंतगुणा बायरणिओदा अपजत्ता पएसट्टयाए असंखे० जाव सुहमणिओया पजत्ता पएसट्ठयाए संखे०, एवं णिओयजीवावि, णवरि संक्रमपए जाव सुहमणिओयजीवेहितो पजत्तएहितो दव्वट्ठयाए बायरणिओयजीवा पज० पदेसट्टयाए असंखे० सेसं तहेव जाव सुहुमणिओयजीवा पजत्ता पएसट्ठयाए संखे०, एतेसिं णं भंते! णिगोदाणं सुहमाणं बायराणं पजत्ताणं अपजत्ताणं णिओयजीवाणं सुहमाणं बायराणं पूजत्तगाणं अपज्जत्तगाणं दवट्ठयाए पएसट्टयाए दव्वटुपएसट्टयाए य क्यो०?, सव्वत्थोवा बायरणिओदा पजत्ता दवट्ठयाए बायरणिओदा अपज्जत्ता दवट्टयाए असं० सुहुमणिगोदा अप० दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा सुहमणिओदा प्रज्ज० दवट्ठयाए संखेजगुणा सुहुमणिओएहितो दवट्ठयाए बायरणिओदजीवा प्रज्जत्ता दवट्ठयाए अणंतगुणा बायरणिओदजीवा अपजत्ता दवट्ठयाए असंखेजगुणा सुहमणिओदजीवा अपजत्ता दव्वटुयाए असंखेजगुणा सुहुमणिओयजीवा ॥श्री जीवाजीवाभिगम् ॥ | २३० पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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