Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 225
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir |यो२१३। सोहम्मीसाणेसु णं भंते! कप्पेसु विमाणा केवतियं आयामविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं पं०?, गो०! दुविहा पं०|| तं०-संखेजवित्थडा य असंखेजवित्थडा य, जहा परगा तहा जाव अणुत्तरोववातिया संखेजवित्थडे असंखेजवित्थड। य, तत्थ णं जे से संखेजवित्थडे से जंबुद्दीवष्यमाणे असंखेजवित्थडा असंखेजाई जोयणसयाई जाव परिक्खेवेणं पं०, सोहम्भीसाणेसु णं भंते! विमाणा कतिवण्णा पं०?, गो०! पंचवण्णा पं० २०-किण्हा नीला लोहिया हालिद्दा सुकिला, सणंकुमारमाहिंदेसु चउवण्णा नीला जाव सुकिला, बंभलोगलंतएसुवि तिवण्णा लोहिया जाव सुकिला, महासुक्कसहस्सारेसु दुवण्णा हालिद्दा य सुकिला य, आणयपाणतारणच्चुएसु सुकिल्ला, गेविजविमाणा सुकिल्ला अणुत्तरोववातियविमाणा परमसुकिल्ला वण्णेणं पं०, सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणा के रिसया पभाए पं० ?, गो०! णिच्चालोआ णिच्युज्जोया सयं पभाए पं० जाव अणुत्तरोववातियविमाणा णिच्चालोआ णिच्चुज्जोता सयं पभाए पं०, सोधमीसाणेसु णं भंते! कप्पेसु विमाणा केरिसया गंधेणं पं०? गो०! से जहानामए कोटपुडाण वा जाव गंधेणं पं०, एवं जाव एत्तो इट्टयरागा चेव जाव अणुत्तरविमाणा, सोहम्भीसाणेसु विमाणा के रिसया फासेणं पं०?, गो० ! से जहाणामए आइणेति वा रुतेति वा सव्वो फासो भाणियव्वो जाव अणुत्तरोववातियविमाणा, सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विभाणा केमहालया पं० ?, गो०! अयण्णं जंबुद्दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं० सो चेव गमो जाव छम्मासे वीइवएज्जा जाव अत्यंगतिया विभाणावासा नो वीइवएज्जा जाव अणुत्तरोववातियविमाणा अत्यंगतियं विमाणं वीतिवएना अत्थेगतिए नो ॥श्री जीवाजीवाभिगम् ॥ | २१५ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

Loading...

Page Navigation
1 ... 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267