________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir "JAL योग) amanाह करने से प्रतिपला में अप्रीतिभाव रस्ता है। कात्री गौरतलता है। RE योग में सराहा। तिलाश--- मेगि--- ला२-२ सोम काल 2 सय अनि / lan पूसा धनि रेका रोहि पर 310 जादा - अन 31 सा हो रा 522 भदोरात ओक्षा अपूस भी मना लिाध मला कति मन मा स्वाति 1. - -- -- मल-विराधा योग में कानाया होता है दूसरे' योग में मात्रा किरही होगायोग में यता निकाल होता है। हर-चायोग कागरिदसवय होता है। विवायोग का महतो सन्तावापहमेशासोबत सिसोरता हाही हिट र सेदितrti For Private And Personal Use Only