Book Title: Jyotish Granth
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Page 63
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . कुशिलारकर्तनधार स्त्र सुरक्षित हारेच जलनिश्राव देवकुर्यात विचक्षणः तिम्रोन्नत करालचसंसखसरसहरण) पृष्टेयधामावतीचन कारमयतर हे स्त द्वार चमिय च विपरीयन कारमेत कडकरकिया महाकायापमान। *जानसाना ती स्थान प्यानलननितिः मत्रम्मत या स्थाने पानधान्य कराहक भानगड गछान्मनुस्य वातासात रजस्वला स्वातप्राय संध्ययो विमुख। भारानगाभासही से अपते / / यापनात वकीचाहतपयममानिया रक्ति हावापाक पाकर्मह सहाकली' माक्षा-संध्यायां यत्र शिविरो कुमः। माय मनचलााकं यत्र नाक्षाच वल्नरी मुसलोलुखलेत्रणामामातबरे / - : .. .. मंत्रश्नावकर सम्रा पकावकानधन। ठाबालीपीछानेवार्या स्थानाडा समाये उर्वतावा रात्रौ नीचञ्चलती चानित. विनीवहत्येव पुत्रोभार्यास्तथा प्रतान For Private And Personal Use Only

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