Book Title: Jyotish Granth
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Page 72
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्पेलपुनपुत्रमतेत वसवेरूल पूर्ववसस्तरे तावडावपाविषययः) लघपले गुरुज हयात रोमास्तमालयन पूर्वमेयावतोलास्तावतोपरेसन्यसेता। खंडवस्तार प्रत्येक पवाला हसुविक लडकियोकसंधातपायूपाय जूतिः पर्वत गुरेरघोलन्यस्पतर पूर्वरो रोधस्टार पिरा। रसमा पुरयेत सवधावत सर्वल भवेत्र बर्गरूपांवस्तारे यह उसके भवेत लघुस्थानेहमुबलिप्रतिरोन्यसेत अथष्टहाभानिसमाजविसमध्यज्यवापावारपसीने हमदारतापात्रेनियसमन्वितम्। सहनुलप्तीसंध्यासुगम बुशमुक्षीत। ततपत बली'नीत्यसविदिदिहायक नील्या निरालाल साहनालापत्र (Rarतर ललिताति) For Private And Personal Use Only

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