Book Title: Jyotish Granth
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आरंभापकान-ग्रुप्यारा मान आमा कविते) मेलामो-च चारणी ) भारसागरे। तामrat मासह नरिन्तये // तन्निलिमासेहि स्वानले हने हात / श्रावो धनस्यात् प्राभे विरास सत्य हे मासे निकलहंसा कभियनवाश्या वैविध्यागमस्मतः माजेशिर्ष धन पाने लक्ष्मी चौरचित माघेवहाभ विधात फालानेगहेततो। ऋत्सकागमो वैरावेच धनागमः खेमत्या स्थापाढे पसमासस्पजायते (अपू परस्पर साह अप आपायगानि- .. अित्यनारे टहे मानमितिबाहोसुरालये। समास प्रोवामेत्रासझाही-चरणात। अजमने सभमनस्यमा मुखमंडपजत गह पियुर्वत्र मला विभाजपत्॥ अपभपरासित क्षेत्रीइमितेही अंगुलेका करोगिलावधीभरयाही बचपोस्वायानित्य For Private And Personal Use Only

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