Book Title: Jyotish Granth
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लग्ने गरी ते यामि शब्धौ सहने कुजे। घटे) के रचिंतक स्थिर स्यास्सिारवास गुरी केन्द्रको केन्द्र खेचायगते रो) तमामो भूतबके कुजे रिपो 22 सहजेडले सुरजीवे वाताबासयु)रापः ला कुमा-चक्रपयवस्तू यहा पर्वत प्रालिकाले सरसाव तर स्थितम् / कर्कलमसितेचने केन्द्रजावे ग्रह श्रिये 2r स्थावस्ये रहे मित्रे वासोच रात मेयोऽय मकरः कनाक बसला 15 सोहाना क्रमावासप्तमं . रालोद चेत्परं शस्त: सतमे शामे ग्रहः (36 तहरन्छ भन्ने नायते परैः भृगुमीप्तोलनजीवननियंग शनिस्लायामायस्पस्तीमएर हानि हसियते सुराचा धनीनगरनौ मासे के रतामा गंडाते तोत्पनेत हाटोनी गुरुवातस्ते ने गोडवा लियो। .. ... - -. जानेष निदेष महावितर. - RANA For Private And Personal Use Only

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