Book Title: Jyotish Granth
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नग्न तपस्वजालान प्राया हानिन योजयेत् / / शुभारमायभूमौ रवे: नरैः। . कोरिया कहौ ठेवा सलमान्यरिकतनम्। एलान धिकहरणिकहिवाहा तबल छ तालिमुरबागवाक्षणामू॥ तथा हाकिस्तंभ भग्नश्रेणीवर हा विकप विषमचन्तन निम्न माध्यत: उछाहान हालमिरन्त है। मानहीन मर्म ससला विस्तरे त्रिकं / / बहुधारचापवास्तचित प्रतिमितिम्। पस्थरी मूलरहा तारकम् / / शिधसर्यानाहान अन्तरेयाग्रह भवत् / असिंहरहितावित शास्त्र यदुई। Rat बहुकलेपाढसमसधा त्रिीरोगरु॥ खति माहान मार्गमरमान्तरे स्थित। अरनेवालापर्वा परप्रव्येन विति वरित पूरिस्तपताइईकारित। नीयवस्तुजव्यैःकृतमसन्तती वराजामात्यभूतचत्वराहिमीपगम्। अवसलातलेऽधिक वानर रही। For Private And Personal Use Only

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