Book Title: Jyotish Granth
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Page 52
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir iT1'. अग्रे वास्तविमास 4-580 हस्त लक्षावाला) आपाहि-अध्य-वायरल-तार अविपति-ह कन्दारितगेकै स्याहार पूहिक शिरः। मूर्धान नरवनेत प्राल्कहौ खनन ग्रन्थान्तरे-भारतिषिसच्याहे: पूर्वत मुख खात वाठमशातितेक राक्रमार। नानुमात्रा खनेमामणवा पुरुषोन्मता-प्रतिष्ठाशरसमन्वये / पूरुषमात्रातुनशल्यमहरखे। जलन्तिनी स्वित सत्पासाहेषहमणाम्। तस्मानप्रासादित भूमी वावजलान्तन / पापकर्करान्त वातावरस्त पुनर्यजेत्।। रखते पूणे हा होया गिलासनविन्यास सभिस्थापनमंत्रोणाचाहनातक। यावलोनिरस:हिमवांस ययनल जमध्यको नरेन्द्रस्प तणावमचलोभवनमः मापन विव शोटिलता अाअलावाया For Private And Personal Use Only

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