Book Title: Jyotish Granth
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Page 71
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 52 अपप्रस्तारः यच्या हिरवेशरून्यूर्वसाधो लपून लिखेत् / योपरि तथा शेष भूयः कुहिमोविधि। ऊने हेद्यात रू) सर्व लवते सरेहिति। . अपयन तार।। नष्टरूपे बुधे प्रचे गूरुस्ने समेलघु) विषमेवेकमाहाय हत्तयेत्पुनरेवही इशान नही सापपेहलान विद्या गुणाना' लघुस्थानोमचेरेके सेलासमाहेकमीश्रने रती प्रस्तारवरोसिसमाने काम्यानेकांत्रि तत संकलन कुहिपापसानी निवर्तनाव सकाहाल विज्ञानं दातीयस्थानतोश्वेत / / मेरुत्रीमेसयरचीतहल्लकिया। भयो बालखेतीककांक्रेनर्सयतो असरमा मेला मेरचाह मेरुके। एमालानी विस्तामाहवतेत सर्वत ॐकालनेनापतौस्तोच मध्यतः। आहोस्गरोसंप्रान्ते सर्वलचोयो / अमेधेका यत्नाहानांसहामातीस्ता रुता हामेरुड मेस्सीका . For Private And Personal Use Only

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