Book Title: Ratnastok Mnjusha
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 4
________________ प्रकाशकीय थोकड़ों का जीवन में अत्यधिक महत्त्व है । ये हमारे आध्यात्मिक ज्ञान की अभिवृद्धि में सहायक हैं। इनके अध्ययन से हमें आगम के अनेक गूढ़ रहस्यों व सार तत्त्वों का परिचय प्राप्त होता है, मन सावद्य योग से निवृत्त होता है तथा जिनेश्वर द्वारा प्ररूपित धर्म पर श्रद्धा बढ़ती है । तत्त्व ज्ञान हेतु यद्यपि 32 आगमों में विशद् विवेचन दिया गया है, परन्तु आगमों को पढ़कर उसके अर्थ एवं मर्म को हृदयंगम करना अधिकतर लोगों के लिए बहुत कठिन होता है । अत: हमारे पूर्वाचार्यों ने महती कृपा करके जिज्ञासु एवं मुमुक्षु बन्धुओं के लिए आगम के सार रूप में सरल सुबोध भाषा में थोकड़ों का निर्माण किया । सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल द्वारा थोकड़ों की विभिन्न पुस्तकें प्रकाशित की गयी हैं। प्रस्तुत पुस्तक में 10 थोकड़े प्रकाशित किये जा रहे हैंह्न (1) रूपीअरूपी, (2) श्वासोच्छ्वास, (3) योनि, (4) विरह द्वार, ( 5 ) पाँच देव, (6) 98 बोल का बासठिया, (7) 14 गुणस्थानों का बासठिया, (8) 32 बोल का बासठिया, (9) 102 बोल का बासठिया और (10) तेतीस बोल का थोकड़ा । इस पुस्तक के माध्यम से सुज्ञ जिज्ञासु पाठकों को जैनागमों के महत्त्वपूर्ण तथ्यों को समझने में सरलता होगी। थोकड़ों के अध्ययन से पाठकगण अपना जीवन परिष्कृत और उन्नत कर मुक्तिगामी बनें, इसी मंगल भावना के साथ..... पारसचन्द हीरावत अध्यक्ष निवेदक :: :: प्रमोदचन्द महनोत पदमचन्द कोठारी कार्याध्यक्ष सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल विनयचन्द डागा मन्त्री

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