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( १२७ ) भभीक्षणको रावणके साथ भेज दियाश्रीरघुनाथाजी॥ यह राक्षस वानर मिल सवही चडकर धाया ॥ महाराज भाइ दोइ मदतके करनाजी।। नहीं | या नागफासमें कुंभकरणको रामजी वान्थ्यो । महाराज और सब गक्षस बन्धानाजी ।। किया रामदलने जोर देख रावण घबरानाजी ॥ जब भभिक्षणपर रावण हाथ उठाया ॥ महाराज हवा लक्ष्मण अगवानीजी ॥ किया दोनो भूपने युद्ध । घने घमन्ड गुमानीजी। जब राजा रावणने शक्तिवाण चलायो॥ महाराज पडया जाइ लक्षमण धरणीजी ॥ नहीं५॥ जब आइ विशल्या सती घाव मिटाया ।। महाराज युद्धपर चड़ गया सूराजी॥ बट्ट रुपनी विद्या साध आया रावणभी हजूराजी॥ जव देखवल लक्ष्मणको चक्र चलायो ।