Book Title: Jain Subodh Ratnavali
Author(s): Hiralal Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal Kimti Haidrabad

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Page 214
________________ ( १९४) अठाणूं युत प्रति बोध दियो एक सुत । हीरालाल कहे सिद्ध स्वरूप निरूप है ॥ १३ ॥ ॥ गुरू महाराज श्री रत्नचंद्रजीके गुणग्राम-सवैया ।। संवत्त अठारेसौ अठोतर साल माहीं। माघ वदि सातमीको वार मंगलवार है ॥ कनजेडो गाम ठाम पिता दयाचंदजी नाम । ताके पुत्र अभिराम रत्नचंदजी अवतार है ॥ उगणिसौ चवदामें जेष्ट सुदि पंचमिको। सरवाण्या गाम माहीं लीधो संजम भार है ।। सालाने बेनोही दोइ संग मिल्या सुखहोई । जिन धर्म साचो जोइ कीधो-जयजयकार है ॥१॥ समत्त उगणीसो पचासके साल माहीं। , .. दितिया असाढ वदी बीज सुक्रवार है ॥ रजनिके काल माही आयुष्य पूरण करी। ..

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