Book Title: Jain Subodh Ratnavali
Author(s): Hiralal Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal Kimti Haidrabad
View full book text
________________
( १७३ )
10
11
दधिमे सयंभू रमण रुच कहे गोलाकार |
12
परापत कुंजरामे अग्रेसर टाणिये ॥ १ ॥
१३
tr
चोपदामे सिंघ सुरो नागांमांहे धरणीधरो ।
१५
मावन कुंवार माही वेणुदेव लाइये ||
15
१७
कल्प माहे ब्रह्म लोग सभामे सुधमीं जोग ।
.
स्थितिमं लवस्थीती उग सवठसिधमाई यै ||
१२८
૨૦
रंगाम किरमचिरंग दानामे अभय अंग |
३१
वज्रऋिषभ संघे में अति अधिकाइये ||
ટ્ર
संाणे चौरसस्थान ज्ञानमे केवल ज्ञान |
૧૪
ध्यानामे सुकल ध्यान निरमल धाइये || २ ||
*
૨૪
देशामे सुक्ल लेशा मुनियांमे जिनंदजैसा ।

Page Navigation
1 ... 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221