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सभ राण्याको परिवार संग लेइ जलमें झुलावेजी ॥ या रामत देखकर लोक करे परसंस्था । महाराज वैरीका दिल घबराताजी || परम ॥ १ ॥ या पद्मावती पटनार राजा कोणिककी महाराज भूपसे कुबुद्ध भिडाइजी ॥ लेबो हार हाथीको मांग जदी अपनी ठकुराइजी . जद वेहल कुँवर पर कोणिक हुकम फरमाया || महाराज कुँवर तो कही नही मानेजी ॥ उठ गया नानाजी के पास कोणिक राजाके छानेजी ॥ जब कोणिक राजाने दो तीन दूत पठाया || महाराज सरण आया नहीं दिलाताजी ॥ परमाश जद रणभूमी पर हुवा भूप एकछा महाराज चेडा नृप बाण चलायाजी । यह काली कुँवर दश भ्रात जिनों का जोर हटाथाजी ॥ जद कोणिक नृपने मदतको देव बोलाया ।