Book Title: Jain Chalisa Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 11
________________ श्री आदिनाथ भगवान जी श्री आदिनाथ चालीसा (दोहा) शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करुं प्रणाम | उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम | सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार | आदिनाथ भगवान को, मन मन्दिर में धार ।। (चोपाई) जय जय आदिनाथ जिन के स्वामी, तीनकाल तिहूं जग में नामी । वेष दिगम्बर धार रहे हो, कर्मो को तुम मार रहे हो । हो सर्वज्ञ बात सब जानो, सारी दुनिया को पहचानो। नगर अयोध्या जो कहलाये, राजा नभिराज बतलाये ।। मरूदेवी माता के उदर से, चैतबदी नवमी को जन्मे । तुमने जग को ज्ञान सिखाया, कर्मभूमी का बीज उपाया ।। कल्पवृक्ष जब लगे बिछरने, जनता आई दुखडा कहने। सब का संशय तभी भगाया, सूर्य चन्द्र का ज्ञान कराया । खेती करना भी सिखलाया, न्याय दण्ड आदिक समझाया। तुमने राज किया नीती का सबक आपसे जग ने सीखा । 11

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