Book Title: Jain Chalisa Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 45
________________ श्री कुन्थनाथ भगवान जी श्री कुन्थनाथ चालीसा दयासिन्धु कुन्थु जिनराज, भवसिन्धु तिरने को जहाज । कामदेव... चक्री महाराज, दया करो हम पर भी आज । जय श्री कुन्युनाथ गुणखान, परम यशस्वी महिमावान । हस्तिनापुर नगरी के भूपति, शूरसेन कुरुवंशी अधिपति । महारानी थी श्रीमति उनकी, वर्षा होती थी रतनन की। प्रतिपदा बैसाख उजियारी, जन्मे तीर्थकर बलधारी । गहन भक्ति अपने उर धारे, हस्तिनापुर आए सुर सारे । इन्द्र प्रभु को गोद में लेकर, गए सुमेरु हर्षित होकर । न्हवन करें निर्मल जल लेकर, ताण्डव नृत्य करे भक्वि- भर 1 कुन्थुनाथ नाम शुभ देकर, इन्द्र करें स्तवन मनोहर । दिव्य-वस्त्र- भूषण पहनाए, वापिस हस्तिनापुर को आए । कम-क्रम से बढे बालेन्दु सम, यौवन शोभा धारे हितकार । धनु पैंतालीस उन्नत प्रभु- तन, उत्तम शोभा धारें अनुपम । आयु पिंचानवे वर्ष हजार, लक्षण 'अज' धारे हितकार। राज्याभिषेक हुआ विधिपूर्वक, शासन करें सुनीति पूर्वक । 45

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