Book Title: Jain Chalisa Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 58
________________ श्री पार्श्वनाथ भगवान जी श्री पार्श्वनाथ - चालीसा दोहा शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करुं प्रणाम | उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम | सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार | अहिच्छत्र और पार्श्व को, मन मन्दिर में धार || || चौपाई || पार्श्वनाथ जगत हितकारी, हो स्वामी तुम व्रत के धारी | सुर नर असुर करें तुम सेवा, तुम ही सब देवन के देवा | तुमसे करम शत्रु भी हारा, तुम कीना जग का निस्तारा | अश्वसैन के राजदुलारे, वामा की आँखो के तारे | काशी जी के स्वामी कहाये, सारी परजा मौज उड़ाये | इक दिन सब मित्रों को लेके, सैर करन को वन में पहुँचे | 58

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