Book Title: Jain Chalisa Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 41
________________ श्री शान्तिनाथ भगवान जी श्री शान्तिनाथ चालीसा शान्तिनाथ भगवान का, चालीसा सुखकार ॥ मोक्ष प्राप्ति के लिय, कहूँ सुनो चितधार ॥ चालीसा चालीस दिन तक, कह चालीस बार ॥ बढ़े जगत सम्पन, सुमत अनुपम शुद्ध विचार ॥ शान्तिनाथ तुम शान्तिनायक, पण्चम चक्री जग सुखदायक ॥ तुम ही सोलहवे हो तीर्थंकर, पूजें देव भूप सुर गणधर || पञ्चाचार गुणोके धारी, कर्म रहित आठों गुणकारी ॥ तुमने मोक्ष मार्ग दर्शाया, निज गुण ज्ञान भानु प्रकटाया ॥ स्याद्वाद विज्ञान उचारा, आप तिरे औरन को तारा ॥ ऐसे जिन को नमस्कार कर, चढूँ सुमत शान्ति नौका पर ।। सूक्ष्म सी कुछ गाथा गाता, हस्तिनापुर जग विख्याता ॥ विश्व सेन पितु, ऐरा माता, सुर तिहुं काल रत्न वर्षाता ॥ साढे दस करोड़ नित गिरते, ऐरा माँ के आंगन भरते ॥ पन्द्रह माह तक हुई लुटाई, ले जा भर भर लोग लुगाई || 41

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