Book Title: Jain Chalisa Sangraha Author(s): ZZZ Unknown Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 68
________________ सोरठा करे पाठ चालीस दिन नित चालीसहिं बार। खेवै धूप सुगन्ध पढ़, श्री महावीर अगार // जनम दरिद्री होय अरु जिसके नहिं सन्तान। नाम वंश जग में चले होय कुबेर समान / / 68Page Navigation
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