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भावार्थ:- घडी समभाव धारण करी सामायिकने करनार श्रावक देवलोकनुं आयुष एटला प्रमाणवाला पल्योपमर्नु बांधे छे. बाणवइकोडीओ, लक्खागुणसविसहसपणवीसं, नवसयपणवीसाए, सतिहाअडभागपलिअस्स ॥१॥ सत्तहत्तरिसत्तसया, सतहत्तरिसहसलक्खकोडीओ, सगवीसं कोडिसया, नवभागासत्तपलिअस्स॥२॥
भावार्थ:-बाणु ९२ कोटी ओगणसाठ ५९ लाख पचीस २५ हजार नवशे ९ ने पचीस २५ सात आठ भाग पल्योपमना अंकतः ९२५९२५९२५४ तथा २७७७७७७७७७७७१ एटले सत्यावीश सातसो सत्योतेर हजार लाख कोटी अने सत्यावीशशे लाख कोटी नव भाग सात पल्योपमना ए उपरोक्त प्रमाणे समभावथी सामायिक करनार पल्योपमना देव गतिना आयुषने बांधे छे. हवे सामायिक करनारने विचार करवानो छ, के रागद्वेष रहित सामायिक फक्त एकज करवाथी ए उपरोक्त प्रमाणे देवर्नु आयुष बंधाय छे, तो निरंतर वीतरागनी आज्ञा प्रमाणे जो सामायिक करवामां आवे तो देवतार्नु केटलुं लांबु आयुष बंधाय तेनो ख्याल करवो जोइये. विना पैसाये, विना महेनते, विना उपाधिये, आवो महान् लाभ मलतो जोइ जे जीवो तेने हाथे करीने तिरस्कार करे छे, ते जीवो अफसोस करवा लायक बने छ, अने घरबारना कामकाजने रोकी सामायिक लइ उपरोक्त प्रमाणे समभावथी सामायिक नहि करनारा केवल अज्ञान दशाना ज हिमायती गणाय छे. कोइ पैसाथी | दान मान आपे, ने कोइ बे घडीनुं निर्मळ मनथी सामायिकने करे, तो पण तेने तोले ते आवे नहि, जे माटे कयुं छे के
दिवसे दिवसे लक्खं, देइ सुवण्णस्स खंडियं एगो, एगो पुण सामाइयं, करेइ न पहुत्तये तस्स ॥१॥
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ने कोइ वे घडीनुं निर्मळ मनाह करनारा केवल अज्ञान दशाना नखारना कामकाजने रोकी सामा