________________ gay. s卐卐卐994.! | होय तो पण सरल कहेवाय छे, मानी होय तो पण महत्त्ववालो कहेवाय छे अने कषाय होय तो पण निष्कषायी कहेवाय छे. सर्व वाते खोड खापण लांछन दोषादियुक्त होय तो पण भलो सारो लायक समयनो जाण बाहोश विगेरे अलंकारोने धारण करवावालो थाय छे, ते सर्व लक्ष्मीनो ज प्रभाव छे. बलिहारी छे लक्ष्मीबाइनी के, निर्गुणीने पण अनेक गुणना पुंछडा चोटाडे छे. ___हवे आ अवसरे मेतारजने शिविकामांथी नीचे पाडी फजेती करी देवता मेतार्यने कहे छे केम हजी मानवु छे के नथी मानवं. आटलं आटलं दुःख हारा मस्तक पर पडथु छतां तने वैराग्य केम थतो नथी ने तुं दिक्षा केम अंगीकार करतो नथी. मेतार्य कहे छे के हे देव ! त्हारु कहेवू सत्य छे. पण तुं म्हारे माथे कलंक नखावी, अपयश अपावी, दुःखमां मने डूबावी, सारा गाममां धिक्कारने पात्र बनावी, म्हारी लाज लुंटावी, मने दिक्षा अपाववा लेबराववा तैयार थयेल छे, तो ते काइपण बननार नथी, पण प्रथम तुं मने अपयशरूपी कर्मकलंकना नरक कूवामाथी मने प्रथम बहार काढ. वली म्हारा जे स्थाने हतो त्यां स्थापन कर, वली म्हारो गयेलो यश मने पाछो मेळवी आप, तथा राजानी पुत्री तथा ते आठ कन्याओर्नु मने पाणिग्रहण कराव. त्यारबाद निश्चय हुं चारित्रने अंगीकार करीश. मेतार्यना आवा वचनो सांभळी तेमनी मनोकामना पूर्ण करवा निमित्ते विष्टाने ठेकाणे रत्नोने उत्पन्न करे तेवो बोकडो एक देवताये मेतार्यने आप्यो, ते थकी उत्पन्न थयेला रत्नोनो थाळ भरी मेतार्य पोताना पिताने आपी का के आ रत्नोनो थाळ भरी राजाने भेट करी म्हारा माटे तेनी पुत्रीनी मागणी करो, तेना पिताये तेम करवाथी राजाये क्रोध करी पोताना सेवको पासे तेनुं गल पकडावी काढी मुक्यो, तो पण 49y卐5卐卐卐ya!