Book Title: Anandghanji tatha Chidanandji Virachit Bahotterio
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 29
________________ आनंदघनजी कृत पद. खे॥०॥ ए बांकणी ॥ नही दम पुरुषा नहि हम नारी, वरन न जात हमारी॥ जाति न पांति न सा धन साधक, नही हम लघु नही नारी ॥ अ०॥१॥ नही हम ताते नही हम सीरे,नही दीर्घ नही बोटा॥ नही हम नाइ नही हम नगिनी, नही हम बाप न बेटा ॥अ॥२॥ नही हम मनसा नही हम शब्दा, नही हम तरणकी धरणी ॥ नही हम नेख नेख धर नांही, नही हम करता करणी॥अ॥३॥ नही हम दरसन नही हम परसन,रस न गंध कल नांही॥आनं दघन चेतनमय मूरति, सेवकजन बलि जाहीं ॥४॥ ॥ पद त्रीशमुं॥ राग आशावरी॥ ॥साधो नाइ समता रंग रमीजें,अवधू ममता संग न कीजें ॥ सा॥ ए आंकणी ॥ संपति नांहिं नाहिं ममता में,ममतामा मिस मेटेखाट पाट तजी लाख खटाउ, अंत खाखमें लेटे ॥ सा० ॥ १ ॥धन धर तीमें गाडे बोरे, धूर आप मुख व्यावे ॥ मुखक साप होवेगो आखर, तातें अलहि कहावे ॥ सा ॥२॥ समता रतनागरकी जा,अनुजव चंद सुनाइ॥ का लकूट तजी नावमैं श्रेणी, आप-अमृत ले आइ॥सा ॥३॥ लोचन चरन सहस चतुरानत, श्नतें बहुत Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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