Book Title: Anandghanji tatha Chidanandji Virachit Bahotterio
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 91
________________ चिदानंदजी कृत पद. ॥ पद त्रीशमं ॥ राग भैरव ॥ ॥ लाल ख्याल देख तेरे, प्रचरिज मन यावे ॥ ला ल० ॥ ए यांकणी ॥ धारे बहु रूप बिन्न, मांहे होय रंक नूप ॥ यापतो खरूप सदु, जगमें कहावे ॥ला ० ॥ ॥ १ ॥ करता करताडु, हरताके नरता ज्युं ॥ ए सा है जो कोण तोहे, नाम ले बतावे ॥ ॥ ला०॥२॥ एकदुमें एक है, अनेक है अनेक डुमें || एक न अनेक कबु, को नही जावे ॥ ना० ॥ ३ ॥ उपजे न उपज त, मू न मरत कबु ॥ खटरस जोग करे, रंचहु न खावे ॥ लाल० ॥ ४ ॥ परपरणीत संग, करत अनो बेखे रंग ॥ चिदानंद प्यारे, नट बाजीसी दिखावें ॥ ॥ जा० ॥ ५ ॥ इति पदं ॥ 3G ॥ पद साडीशमं ॥ राग भैरव ॥ ॥ जाग रे बटान अब, नई जोर वेरा ॥ जा० ॥ ॥ ए यांकणी ॥ नया रविका प्रकाश, कुमुदहू थए वि कास ॥ गया नाश प्यारे मिथ्या, रेनका अंधेरा ॥ ॥ जा० ॥ १ ॥ सूता केम यावे घाट, चालवी जरूर वाट ॥ कोइ नांदी मित्त, परदेश में ज्युं तेरा ॥ जा० ॥ ॥ २ ॥ अवसर वीत जाय, पीछें पिबतादो थाय ॥ चिदानंद निहचें, ए मान कहा मेरा ॥ जा० ॥ ३ ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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