Book Title: Anandghanji tatha Chidanandji Virachit Bahotterio
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 40
________________ यानदधनजी कृत पद. १७ बीना ॥ नाई ॥ १ ॥ प्रीतम सब बबी निरखके हो, पीन पीच पीच कीना । वाही बिच चातक करे हो, प्रान हरे परवीना ॥ ना० ॥ २ ॥ एक निसि प्रीतम नांचंकी हो, वि सर गई सुध नाउ ॥ चातक चतुरविना रही हो, पीन पीठ पीठ पीठ पाठ ॥ नाई ० ॥ ३ ॥ एक समे यालापके हो, कीने खडाने गान ॥ सुघर बपीहा सुर धरे हो, देत है पीठ पीन तान ॥ जाडुं० ॥ ४ ॥ रात विनाव विज्ञात है हो, उदित सुनाव सुजान ॥ सुमता साच मते मिले हो, खाए यानंदघन मान ॥ नाई ॥ ५ ॥ ॥ पद बावनमुं ॥ राग जयजयवंती ॥ || मेरे प्रान यानंदघन तान यानंदघन ॥ ए यां की || मात खानंदघन तात यानंदघन, गात यानं दघन जात यानंदघन ॥ मे० ॥ १ ॥ राज यानंदघन काज यानंदघन, साज आनंदघन लाज आनंदघन ॥ मे० ॥ २ ॥ यान यानंदघन गान आनंदघन, नान यानंदघन जान यानंदघन ॥ मे० ॥ ३ ॥ इति पदं ॥ ॥ पद त्रेपनमुं ॥ राग सोरठ मुलतानी ॥ ॥ नटरागिणी ॥ सहेली ॥ ॥ सास दिल लगा है, बंसीवारेसूं ॥ बंसीवारें प्रान प्यारें ॥ सा० ॥ मोर मुकुट मकराकृतकुंमल, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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