Book Title: Anandghanji tatha Chidanandji Virachit Bahotterio
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 67
________________ ५४ च्यानंदघनजी कृत पद. घणी माग रे ॥ तुने ॥ २॥ नवका फेरा वारी करो जि नचंदा, यानंदघन पाय लाग रे ॥ तुने ॥ ३ ॥ इति पदं ॥ ॥ पद एकशो त्रमुं ॥ राग केरबा ॥ ॥ प्रत्रु नज ले मेरा दील राजी रे ॥ प्र० ॥ ए यांकणी ॥ या पोहोरकी चोशठ घडीयां, दो घडीयां जिन सा जीरे ॥ प्र० ॥ १ ॥ दान पुण्य कबु धर्म कर ले, मोह मायाकुं त्याजी रे ॥ प्र०॥ २ ॥ आनंदघन कहे समज समज जे, प्रखर खोवेगा बाजी रे ॥ प्र०॥३॥ इति पदं ॥ ॥ पद एकशो चारमुं ॥ राग आशावरी ॥ ॥ हठीली यांख्यां टेक न मेटे, फिर फिर देखा जानं ॥ हविए की ॥ बयल बबीली प्रिय बबि, निरखित तृपति न होई || हट करिंक हटकूं कनी, देत नगोरी रोई ॥ ० ॥ १ ॥ मांगर ज्यों टमाके रही, पी सी के धार ॥ लाज मांग मनमें नही, काने पढेरा मार ॥ ॥ ०॥ २ ॥ अटक तनक नही काहूका, हटक न इक तिल कोर || हाथी याप मने अरे पावे न महावत जोर ॥ ६० ॥ ३ ॥ सुन अनुभव प्रीतम बिना, प्राण जात इह हि ॥ जन धातुर चातुरी, दूर आनंद घन नांहि ॥ ॥ ४ ॥ इति पदं ॥ ० ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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