Book Title: Anandghanji tatha Chidanandji Virachit Bahotterio
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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चिदानंदजी कृत पद. एए साखी सुर नर वृंद ॥ ए पर्व पर्वमां, जिम तारामां चंद ॥१॥ नागकेतुनी परें, कल्प साधना कीजें ॥ त नियम याखड़ी, गुरुमुख अधिकी लीजें ॥ दोय ने दें पूजा, दान पंच परकार ॥ कर पडिक्कमणां धर, शि यल अखंमित धार ॥२॥ जे त्रिकरण शुदें, बाराधे नवकार ॥ नव सात आठ अव, शेषे तास संसार ॥ सद सूत्र शिरोमणि, कल्पसूत्र सुखकार ॥ ते श्रव । सुगीने, सफल करो अवतार ॥३॥ सत् चैत्य जुहारी, खमत खामणां कीजें ॥करी साहामीवत्सल, कुगति चार पट दीजें॥अ महोत्सव, चिदानंद चि तं लाई ॥ इम करतां संघने, शासन देव सहाई ॥४॥
॥ पद एकोतेरमुं॥ राग सोरत ॥ ॥क्या तेरा क्या मेरा, प्यारे सदु पडाइरहेगा॥ पंडी आय फिरत दडं दिशथी, तरुवर रेन बसेरा ॥ सद्ध आपणे आपणे मारगतें, होत जोरकी वेरा॥ प्या॥ ॥१॥ इंश्जाल गंधर्व नगर सम,मेढ दिनाका घेरा॥सु पन पदारथ नयन खुल्या जिम, जरत न बदुबिध हेत्या ॥ प्या० ॥ ॥ रविसुत करत शीशपर तेरे, निशिदिन बाना फेरा ॥ चेत सके तो चेत चिदानंद, समज श ब्दए मेरा ॥ प्या० ॥ ३ ॥
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