Book Title: Anandghanji tatha Chidanandji Virachit Bahotterio
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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जन
चिदानंदजी कृत पद. कर जोड कहतद्वं, जरतेकों न जरावो ॥ दस हस नाथ जरे पर अब तुम, काहेकू लौन लगावो॥ साहे ॥ १ ॥ हमळू त्याग पिया शोक्य सदन तुम, बिना बोलाए जावो ॥ जा कारनही मेर नहीं आवत, ते कोन चूक दिखावो ॥ साहे० ॥ २ ॥ कुमता कुटि लके बस इम साहेब, काहेकू लोक हसावो ॥ तुमकू कवन शिखावे तुम तो, औरनकू समजावो ॥ साहे" ॥३॥ वाके वस वरति तुम नायक, जे जे विध दुःख पावो ॥ ते सदु बानो नहीं कोउ मोथी, काहेकू प्रगट कहावो ॥ साहे॥ ४ ॥ चिदानंद सुमताके बचन सुन,नेज्यो हे हरख वधावो ॥ तुम मंदिर आवत प्रनु प्यारी,करीयें न मन पडतावो॥साहे॥५॥इति पदं॥
॥ पद चोपनमुं ॥ राग शोर ॥ ॥ गढगिरनार,रूडो लागे जी, थांको गढ गिरना र ॥ ए आंकणी ॥नार अढार अपार कियो तिहां,व नराजी विस्तार ॥ निर्मल नीर समीर वदत नित्य, प थिक जन मनोहार ॥ रूडो० ॥१॥ शुभ समाधि वि गत उपाधि,जोगीसर चित्त धार ॥ करत गंजीर गुहामें निशदिन, गुरुगम झान बिचार ॥ रूडो० ॥ ३ ॥क व्याण कढू त्रस्य तिहां रे, शोनत जगदाधार ॥ चिदा
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