Book Title: Anandghanji tatha Chidanandji Virachit Bahotterio
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 102
________________ चिदानंदजी कृत पद. ॥ नंद प्रनु अब मोहे तारो, जिम तारी निज ना र ॥ रूडो० ॥३॥ इति पदं ॥ ॥ पद पञ्चावनमुं॥ राग सोयणी॥ ॥ अनुनव ज्योति जगी, हीये हमारे बे॥ ॥ ॥ ए आंकणी॥ कुमता कुटिल कहा अब करिहा, सु मता हमारी संगी॥०॥१॥ मोह मिथ्यात निकट नवि आवे जव परिणत ज्युं पगी ॥ ॥अ॥ ॥ चिदानंद चित्त प्रचुके नजनमें, अनु पम अचल लगी ॥अ॥३॥ इति पदं॥ - ॥ पद उप्पन्नमुं॥ राग सोयणी॥ ॥सरण तिहारे गही , चंदाप्रनुजी बे॥स ॥ ॥ ए आंकणी ॥ जनम जरा मरणादिक केरी, पीडा बदुत सही छे । स० ॥१॥ परःख नंजन नाथ बि रुद तुव, तातें तुमकों कही २ ॥ स० ॥ ॥ चि दानंद प्रनु तुमारे दरसथी, वेदना अशुन दही २ ॥ स ॥३॥ इति पदं ॥ ॥ पद सत्तावनमुं ॥ राग केरबो ॥ .. .. ॥समज परी मोहे समज परी, जग माया अब जूठी मोहे समज ॥ ए यांकणी ॥ काल काल तूं क्या करे मूरख, नांही नरुसा पल एक घरी ॥ स Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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